आंखे बंद कर उसे ढूंढूं
सवालो में, जवाबो में उसे खोजूं
दिलासा दे, ख़याल सा ऐसा मेरे
है बँधे पाँव खोल मैं उडुं |
रज़ा क्या तेरे इस ख्वाईश की
एक आंधी बन आसमान को छु लूँ |
नगर नही, गली नहीं कोई ठिकाना
हो ऐसी राह पर है मुझे जाना
सितारों में जो मोती सी चमक है
ऐसे किसी पन्नो पे है अपना अफसाना
है बेवजह बेसवाली सा ये मन
पंछी बन तेरे संग मैं उड़ना सीखूँ
एक आसमान ऐसी मेरे नाम कर तु |
कागज हूँ मैं, कलम सा तु
एक स्याही से लिख ऐसी कहानी
अमर होकर बन जाए जहां की जबानी |