वही पत्तियां सुख कर साख से नीचे उतरी हैं
वही रास्ते आज फिर पग में फिर से आएं हैं
मौसम तो बहार खिला है
पर दिल का न कोई द्वार खुला है
राह अधूरी, बाह अधूरी,
ख्वाइशों को पिंजरे में बंद
फिर से वही आएं हैं
तुमको देखता हूँ तो ख्याल आता है
जैसे तुम्हारी खुशियों के लिए जीने को मन चाहता है
तुमसे बातें करने को मन जी भर कहता है
पर एक झिझक रह जाती है
तुम्हारी ना से डरता है
उपहार तुमने ना अपनाया
मुझे बैर सा एहसास दिलाया
तब से बस एक अरमान यही है
तुम रोज सुबह अपनी स्कूटर पर
यूँ ही वक़्त पर आ जाया करो
मुस्कुरा का मेरे दिन को महका दिया करो
मोहब्बत नहीं बस एक मुलाक़ात चाहता हूँ
तुम अपने की कुछ बतलाना
मैं कुछ अपने मन की
तुमको सुनकर आँखें हो जाएँगी खुश सी |
मोहब्बत का रास्ता अभी दूर है.
पहले चाय की प्याली के बहाने
एक दूजे का हाल जान ले ढाल जान ले, ईमान जान ले |
मन का दर्पण देख सकें इतनी तो पहचान हो जाये
नाम न पता, काम न पता |
तुम्हारी मुस्कान के आगे तो तुम्हारी स्कूटर का नंबर देखना भूल जाता हूँ
एक रेस लगाना चाहता हूँ तुम्हारे स्कूटर के साथ जानता हूँ पीछे रह जाऊंगा
देखना ये है की कितना पीछे छूटने के बाद तुम पलटोगी
देखोगी मुझको थका हारा सा और फिर मुझपर हसोगी |
बस उस मुस्कराहट और हसीं के लिए फिर जीने को मन करता है
पर जब तुम नही आती हो सुबह तो मन उदास सा रहता है |
तुम रोज समय यह मुस्कान लिए आ जाया करो, मैं इनमें अपनी जिंदगी ढूंढ लूंगा l
