मोहल्ले का प्यार
झुठ मुठ की तकरार
मासूम से सपने
प्यारी सी नोकझोक
दिल के अपने
सुख – दुःख के साथी
ज़िंदगी की मुसीबतों को
हस – खेल के बिताती
खुशियों की चाभी पड़ोस में होती थी
विश्वास करना आसान था
दर्द में हमदर्द बनना
रिश्तों को सिर्फ नाम से न निभाना
हमसफ़र बन के एक-दूजे का
हर त्योहार साथ मनाना
मेरे देश के पंछी गाते थे
इस मोहल्ले का प्यार लेकर
दुनिया के सुर से मिलवाते थे
कुवें का पानी मीठा था
सागर को याद दिलाते थे
बैर, विवाद, दुविधा, समस्या
इनसे न घबराते थे
बात-बात में हाट-बाट में
राग सुरीले गाते थे |